हम पहले ही बता चुके हैं कि हर बीमारी का मूल कारण जीवनी शक्ति का असंतुलन है। यह असंतुलन मौलिक रूप से मैं आज मयज्मस कारण होने वाली संवेदनशीलता के फल स्वरुप होता है।
मयाज्मस कार के उत्तेजक तक कारणों के फलस्वरूप सक्रिय हो जाता है ।
जिसके फलस्वरूप व्यक्ति संवेदनशील हो जाता है। संवेदनशील होने के कारण परिणाम स्वरूप जीवनी शक्ति असंतुलित हो जाती है जिसके फलस्वरूप सभी संवेदनाओं का आदान-प्रदान ठीक तरह से होता है।
अतः किसी भी कारण से हमारी यदि संविधान की आदान-प्रदान की प्रक्रिया गड़बड़ा जाएं तो हम बीमार हो जाते हैं। किसी संवैधानिक क्रिया की गड़बड़ को आघात का सकते हैं। जिसके कारण जीवनी शक्ति असंतुलित हो जाती है अंत में हम कह सकते हैं कि सभी प्रकृति बीमारियों का मूल कारण जीवनी शक्ति का संतुलन ही है।
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